इस जैवलिन थ्रो के मैच में प्रथम स्थान नीरज चोपड़ा का है, द्वितीय स्थान इनके अपोनेंट जाकुब वेसलेज्च का है। आरिफ टोक्यो ओलंपिक के मैच में तृतीय स्थान पाने वाले विटदेस्लाव वेसेली है।
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यहां जानें नीरज चोपड़ा ने कितने जीते मेडल
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बेहद शानदार रहा है नीरज चोपड़ा का करियर, जानें उनके सभी जैवलिन रिकॉर्ड
नीरज चोपड़ा को थल सेना में सूबेदार का पद ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की वजह से पदोन्नति के रूप में मिला है।
नीरज चोपड़ा कहते हैं कि एक शेर हमला करने से पहले हमेशा एक कदम पीछे हटता है, मुझे लगता है कि एक एथलीट के जीवन में एक झटका भी ऐसा ही होता है।
उनको देखकर ही उनके मन में भाला फेंकने की जिज्ञासा जाग्रत हुई और वह उसी में रुचि लेने लगे. नीरज ने भाला फेंक खिलाड़ी बनने के लिए प्रयत्न करना शुरू कर दिया.
कॉलेज / यूनिवर्सिटी: डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़
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नीरज की प्रारम्भिक शिक्षा- दीक्षा – नीरज ने प्रारंभिक शिक्षा पानीपत से ही पूरी की। प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात नीरज ने चंडीगढ़ के बीबीए कॉलेज को ज्वाइन किया जहाँ से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। नीरज बचपन में काफी मोटे थे।
इस खेल में यदि भाले का नुकीला हिस्सा जमीन पर गिरे और उसमें धंस जाए तभी सही थ्रो माना जाता है सही दूरी मापने के लिए खिलाड़ी का सेक्टर एंगल के अंदर टिप करना जरूरी है।
नीरज चोपड़ा ने अपनी इस बुलंदी तक पहुंचने के लिए अनेकों प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त किए और नीरज चोपड़ा ने जर्मनी के दिग्गज जैवलिन थ्रो खिलाड़ी उवे होन के अंतर्गत रहकर सीखा। नीरज चोपड़ा ने जिस कोच से जैवलिन थ्रो सीखा था, वह एक सेवानिवृत्त जर्मनी ट्रैक और फील्ड एथलीट थे, जिन्होंने भाला फेंकने में भाग लिया था।
क्रिकेट की जुनूनियत के आलम के दरमियान एक शख्स ऐसा भी है जिसने क्रिकेट से अलग खेल को सीखा, खेला, और उसी को जिया भी। और अंत में उसी खेल की बदौलत click here अपने देश का सिर गौरव से ऊंचा कर दिया ।